" ज़िद होनी चाहिए कि कश्ती है तब सफ़र करना ही है चाहे कितनी भी चुनौतियाँ क्यों न हो! भला कश्ती का ऐसा कोई मुसाफ़िर होगा जिसने समंदर नहीं देखा होगा? भाई!ज़िंदगी को पूरी संवेदना ,गहराई और चौकस ...
" ज़िद होनी चाहिए कि कश्ती है तब सफ़र करना ही है चाहे कितनी भी चुनौतियाँ क्यों न हो! भला कश्ती का ऐसा कोई मुसाफ़िर होगा जिसने समंदर नहीं देखा होगा? भाई!ज़िंदगी को पूरी संवेदना ,गहराई और चौकस ...