कण-कण, भी जहाँ का पारस है, उस जगह का नाम बनारस है, मैं काशी हूं मैं काशी हूं मैं तो काशी का वाशी हूं मेरे तट पर जागे कबीर मैं घाट भदैनी तुलसी की हां मैं घाट भदैनी तुलसी की युग युग से हर सर ज़ख ...
कण-कण, भी जहाँ का पारस है, उस जगह का नाम बनारस है, मैं काशी हूं मैं काशी हूं मैं तो काशी का वाशी हूं मेरे तट पर जागे कबीर मैं घाट भदैनी तुलसी की हां मैं घाट भदैनी तुलसी की युग युग से हर सर ज़ख ...