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काश ऐसा ही होता

4.4
29305

ये नाम इसलिए दिया है मैंने इस कहानी को क्योंकि इसे पढ़ने के बाद हर पत्नी यही कहेगी, काश ऐसा ही होता.... सुधा उठी, आंखें मलते हुए घड़ी देखी। देखते ही घबरा गई, ओह माँ, आज तो उठने में इतनी देर हो गयी, ...

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लेखक के बारे में
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लता शर्मा

तुम आए जिंदगी में, जिंदगी फूलों सी हो गई, हर पल महकी महकी सी रहूं, मैं जैसे कोई इत्र हो गई.. मिले हो तुम जबसे दिल कहे, हां, सखी तुझे भी मुहब्बत हो गई..😘 ©सखी

समीक्षा
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  • author
    rajni negi
    06 मार्च 2018
    mere husband bilkul aise hi hain.bht hi helping
  • author
    Shraddha Garg
    05 मार्च 2018
    Kaash Aisa he ek dost mere pati Ko mil jaye
  • author
    17 मई 2018
    बहुत उम्दा कहानी लता ________सच तो है जब सिक्के के एक दो पहलू ,गाडी के दो चक्के ,जीवन के सार भी हम एक साथ जीते तो फिर क्यों एक पर बोझ जियादा ।👌👌👌👌
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    rajni negi
    06 मार्च 2018
    mere husband bilkul aise hi hain.bht hi helping
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    Shraddha Garg
    05 मार्च 2018
    Kaash Aisa he ek dost mere pati Ko mil jaye
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    17 मई 2018
    बहुत उम्दा कहानी लता ________सच तो है जब सिक्के के एक दो पहलू ,गाडी के दो चक्के ,जीवन के सार भी हम एक साथ जीते तो फिर क्यों एक पर बोझ जियादा ।👌👌👌👌