पहले श्रृंगार, हास्य ,वीर और अब करुण । प्रतिलिपि जी,एक-एक करके सब रसों का स्वाद चखा रही हैं हमें। "वियोगी होगा पहला कवि आह! से उपजा होगा गान उमड़ कर आंखों से चुपचाप बही होगी कविता ...
पहले श्रृंगार, हास्य ,वीर और अब करुण । प्रतिलिपि जी,एक-एक करके सब रसों का स्वाद चखा रही हैं हमें। "वियोगी होगा पहला कवि आह! से उपजा होगा गान उमड़ कर आंखों से चुपचाप बही होगी कविता ...