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कंगाली में आटा गीला

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कंगाली में आटा गीला परिस्थितियां होती विपरीत जब, परीक्षा होती कदम कदम तब। उल्टा है हर काम होता, कहते कंगाली में आटा गीला। खर्चे देखो बढ़ते जाते , समान नित खराब होते। बीमारी भी आती जाए, महंगाई की मार ...

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लेखक के बारे में
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Madhu Arora
समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Rakesh Chaurasia
    28 जुलै 2022
    बिलकुल सही लिखा है आपने। इसी को जीवन कहते हैं। बहुत सुन्दर रचना लिखी है आपने।
  • author
    Awadhesh Kumar Shrivastava
    28 जुलै 2022
    nice rachna
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Rakesh Chaurasia
    28 जुलै 2022
    बिलकुल सही लिखा है आपने। इसी को जीवन कहते हैं। बहुत सुन्दर रचना लिखी है आपने।
  • author
    Awadhesh Kumar Shrivastava
    28 जुलै 2022
    nice rachna