चिंता सर्ग हिमगिरि के उत्तुंग शिखर पर, बैठ शिला की शीतल छाँह एक पुरुष, भीगे नयनों से देख रहा था प्रलय प्रवाह | नीचे जल था ऊपर हिम था, एक तरल था एक सघन, एक तत्व की ही प्रधानता कहो उसे जड़ या ...
चिंता सर्ग हिमगिरि के उत्तुंग शिखर पर, बैठ शिला की शीतल छाँह एक पुरुष, भीगे नयनों से देख रहा था प्रलय प्रवाह | नीचे जल था ऊपर हिम था, एक तरल था एक सघन, एक तत्व की ही प्रधानता कहो उसे जड़ या ...