" रे मुन्ना ! रे कहां गया रे बेटवा ! रे आजा रे तोहार माई कैसे रहेगी तोहार बिना | रे आजा ! रंभा का रूदन पूरी हवेली में गूंज रहा था | ठाकुर साहब हर तरफ आदमी दौड़ा दिये थे अपने बेटे को ढूंढने में जो सुबह से ग़ायब था | ठाकुर साहब की व्याकुलता अन्दर ही अन्दर बढ़ती जा रही थी बात एकलौते बेटे की जो थी | " ठाकुर साहब ! छोटे ठाकुर मिल गए " | एक सेवक ने आकर खबर दी | ठाकुर साहब ने उत्सुक्ता वश देखा तो कलुआ चमार मुन्ना को उठाये आ रहा था | उसने बताया की मुन्ना नदी में ढूब रहा था और वहां उसके सिवा कोई नही था ...