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कालाहांडी

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अभिच आय हौं कालाहांडी ले, मन रहिसे कुछु दिन रहि जात्यों ,गोठियात्यों,थुरकुन सुरतातेओं। घनि घनि बन भीतर महमहाई फूल मन औ महु हां, ओखर महक मां भुला जात्यों। जाते सार देख्यों ,टूटे छानी वाला ...

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