कल कल कर पहाड़ों से आती. मैदानों की प्यास बुझाती. जल को अपने संग है लाती. कृषक को के मन को है भाती. जल यह सब को बांट है देती. बदले में कुछ भी ना लेती. उदारता यह हरदम दिखलाती. बदले में यह माता ...
विवेक कुमार कक्षा 10 का छात्र हूं और अभी आदर्श अंध विद्यालय में पढ़ाई करता हूं मैं अब प्रतिलिपि पर लिखना शुरु कर चुका हूं और कोशिश करूंगा कि आगे तक जाऊं
सारांश
विवेक कुमार कक्षा 10 का छात्र हूं और अभी आदर्श अंध विद्यालय में पढ़ाई करता हूं मैं अब प्रतिलिपि पर लिखना शुरु कर चुका हूं और कोशिश करूंगा कि आगे तक जाऊं
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