pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

कल कल कल कल बहती नदी

2

कल कल कर पहाड़ों से आती. मैदानों की प्यास बुझाती. जल को अपने संग है लाती. कृषक को के मन को है  भाती. जल यह सब को बांट है देती. बदले में कुछ भी ना लेती. उदारता यह हरदम दिखलाती. बदले में यह माता ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
author
Vivek Kumar

विवेक कुमार कक्षा 10 का छात्र हूं और अभी आदर्श अंध विद्यालय में पढ़ाई करता हूं मैं अब प्रतिलिपि पर लिखना शुरु कर चुका हूं और कोशिश करूंगा कि आगे तक जाऊं

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • रचना पर कोई टिप्पणी नहीं है
  • author
    आपकी रेटिंग

  • रचना पर कोई टिप्पणी नहीं है