"कल ..फिर सुबह होगी...! " हर रात का अंत सुबह लेकर आता है और इस बार भी... कल.. फिर सुबह होगी. यह मैं नहीं कह रहा हूँ.. यह कह रहा है आपका विश्वास... आपकी तपस्या और आपका धैर्य. आपने और हमने ...
खुली किताब हूँ। बस...मैं एक कलाकार हूँ।
अंधकार में डूबा रहता हूँ। पन्नों पर उग आया स्याही हूँ।।
यूट्यूब पर सब्सक्राइब करें मेरे चैनल 👉vikas chandra plus and vikas chandra vlogs
फेसबुक 👉विकास चन्द्रा
इंस्टाग्राम 👉 vikas chandra
विकास चन्द्रा
रंगमंच अभिनेता !
सारांश
खुली किताब हूँ। बस...मैं एक कलाकार हूँ।
अंधकार में डूबा रहता हूँ। पन्नों पर उग आया स्याही हूँ।।
यूट्यूब पर सब्सक्राइब करें मेरे चैनल 👉vikas chandra plus and vikas chandra vlogs
फेसबुक 👉विकास चन्द्रा
इंस्टाग्राम 👉 vikas chandra
विकास चन्द्रा
रंगमंच अभिनेता !
समीक्षा
आपकी रेटिंग
रचना पर कोई टिप्पणी नहीं है
आपकी रेटिंग
रचना पर कोई टिप्पणी नहीं है
आपकी रचना शेयर करें
बधाई हो! कल... फिर सुबह होगी.
विकास चन्द्रा. प्रकाशित हो चुकी है।. अपने दोस्तों को इस खुशी में शामिल करे और उनकी राय जाने।