ये कैसा वक्त है ? शहर सोता है और रात जागती है । चैन बेचैन है नींद भी अब थक गई है मील के पत्थर, गुमनाम से हुए और चलती हुई सड़क भी अब रुक गई है । गांव की पगडंडी की घास अब और भी बड़ी हो ...
ये कैसा वक्त है ? शहर सोता है और रात जागती है । चैन बेचैन है नींद भी अब थक गई है मील के पत्थर, गुमनाम से हुए और चलती हुई सड़क भी अब रुक गई है । गांव की पगडंडी की घास अब और भी बड़ी हो ...