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"कहां राजा भोज- कहां गंगू तेली"

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कहां राजा भोज- कहां गंगू तेली यह कहावत क्यों बनी ? बचपन से लेकर आज तक हजारों बार इस कहावत को सुना था कि "कहां राजा भोज- कहां गंगू तेली"। आमतौर पर यह ही  पढ़ाया और बताया जाता था कि इस कहावत का अर्थ ...

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कुन्दन जयपाल

"जय गुरु देव नाम प्रभु का" जीव हत्या अपराध को रोको और शाकाहारी बनो ! 🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳 🙏नमस्कार पाठक बंधुओं !🙏 हालांकि मेरी लेखनी इतनी अच्छी तो नहीं है फिर भी कभी कभार शौक से लिख लेता हूं मेरी रचनाएं पढ़कर अपनी प्रतिक्रिया जरूर व्यक्त करें ताकि मुझे लिखने का प्रतिफल मिल सकें! परिचय :- पिताः स्व. श्री अमोनाराम जी माता: श्रीमति सजनी देवी जाति: मेघवाल धर्म: हिन्दू स्थिति: अविवाहित भाषा: हिन्दी, राजस्थानी जन्म: 4 मार्च 1999 विशेष: ईश्ववर में विश्वास, जीवों पर दया, मदद की भावना । काम: पढाई, कृषि शिक्षा: B.A. , B.ed, MA(HINDI) विषय विशेष : हिन्दी साहित्य, भूगोल, राजनीति मोबाईल: 8290716268, 9509335781 गांव पोस्ट : भीखोङाई जूनी, pin 345025, (पोकरण,जैसलमेर) राजस्थान पसंदीदा स्थान: जयगुरूदेव आश्रम मथुरा, उत्तर प्रदेश

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