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जिन्दगी के कुछ जख्म कभी नहीं भरते(,एक मार्मिक कहानी)?

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आजकल तृसा बहुत चहकी चहकी है मुख पर एक अलग सी चमक बैठे -बैठे खयालो में खो जाना।रातों को नीद न आना,कभी ,कभी बैठे मुस्कुराना कभी रातो मे बैठकर चाँद को निहारते रहना ... ये सब देखकर तृसा की माँ को लगा ...

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Nidhi Singh

I am M.A in hindi

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