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झूठ का बोलबाला... (तीन मुक्तक)

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झूठ का बोलबाला... (तीन मुक्तक) ■■■■■■■■■■■■■ नौकरी है नहीं क्या करे आदमी रोटियों के लिये भी मरे आदमी झूठ का ही पुलिंदा लिये देश में राज करने लगे मसखरे आदमी सत्य का पेड़ देखो हुआ ठूँठ अब हो रहा है ...