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झोला भर थकान

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4.0

खाने का डब्बा और मुट्ठी भर इच्छाएँ लिए निकलता है वो रोज सुबह बनाता है लोकल में जैसे – तैसे खड़े होने की थोड़ी बहुत जगह दिन भर की जद्दोज़हद के बाद लौटता शाम को देर से इंतज़ार कर रहे अपने ...