pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

झरोखा

9
5

मेरा झरोखा मन मेरा झरोखा, खुला आसमान में, दूर तक देखता है, हर रंग, हर नज़्म में। कभी उड़ता है पंछी बन, नीले अम्बर में, कभी डूब जाता है, गहरे समंदर में। कभी खिलता है फूलों की तरह, कभी गिरता है पत्तों ...