चार दिनों की प्रीत जगत में, चार दिनों के नाते हैं, कोई हँसकर साथ निभाए, कोई रोकर जाते हैं। मन के धागे कोमल होते, सपनों से बंध जाते हैं, पर जब रिश्ते टूटने लगें, तो काँच से चुभ जाते हैं। कोई यादें साथ ...
चार दिनों की प्रीत जगत में, चार दिनों के नाते हैं, कोई हँसकर साथ निभाए, कोई रोकर जाते हैं। मन के धागे कोमल होते, सपनों से बंध जाते हैं, पर जब रिश्ते टूटने लगें, तो काँच से चुभ जाते हैं। कोई यादें साथ ...