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जन्मदिनम् शुभम् भवतु

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राम राम कौन! कब! कैसे और कहां हमारे लिए इतना खास हो जाता है कि हम समझ ही नहीं पाते हैं। कोई अंजाना सा, जाना पहचाना अपना सा लगने लगता है। प्रतिलिपि जीवन का एक हिस्सा बन गई है और यहां पर मुझे बहुत ...