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जब तुम्हें लगे तुम तन्हा हो

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जब तुम्हें लगे तुम अकेले हो जब तुम्हें लगे तुम मेरे हो जब तुम्हें लगे तुम ठहरे ठहरे से हर पल में  बस मेरे हो जब तुम्हें लगे जीवन में तुम कुछ तन्हा हो जब तुम्हें लगे जीवन में अब कुछ शेष नहीं जब ...

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लेखक के बारे में

ज्यादा कुछ नहीं , बस दिल की बात शब्दों में कह लेती हूं, जिंदगी से कुछ पल चुरा कर लिख लेती हूं । बयां कर लेती हूं हाल - ए - दिल आपना, वरना तो अक्सर चुप रहती हूं ।

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