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जब तुम जागोगी

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जब तुम जागोगी तो देखना बंद मुठ्ठियों ने खोली हैं कैसे बन्द जुबान और,, किस तरह खामोश किए हैं रौंदते क़दमों को जब तुम जागोगी तो देखना कुछ जुगनुओं ने बिछा रखी थी थोड़ी सी रौशनी चन्द फ़ूलों ने बचा रखी थी ...

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लेखक के बारे में
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असलम हसन

ग्राम _कमलदाहा जिला -अररिया बिहार शिक्षा _स्नातक ,इतिहास (प्रतिष्ठा) अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय स्नातकोत्तर -ग्रामीण अध्य्यन ,पटना विश्वविद्यालय पत्र पत्रिकाओं यथा हंस, पाखी,बया,कथादेश,आजकल,कादम्बिनी समकालीन सरोकार,इत्यादि में रचनाएँ प्रकाशित ,नवसाक्षरओ के लिए लेखन,इतिहास में विशेष रुचि कुछ कविताएँ अनूदित एवं मंचित पुरस्कार -साहित्यिक संस्था "समन्वय"(पटना) द्वारा युवा कवि पुरस्कार लाल बहादुर शास्त्री प्रशासनिक अकादमी ,मसूरी द्वारा आयोजित कविता प्रतियोगिता में प्रथम स्थान सम्प्रति-"भारतीय राजस्व सेवा "के अंतर्गत उपायुक्त सर्विस टैक्स ,नोएडा ,में पदस्थापित

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