जान बुझ कर हर रात मे पैमाने मे सराब रखता हूँ मै तो घर के दरवाज़ा को हर बार खुला रखता हू ...शायद कोई कभी हमारे भी ग़म चुरा ले ll इसलिए अंखियों को नशे मे बंद रखता हू ll ...
जान बुझ कर हर रात मे पैमाने मे सराब रखता हूँ मै तो घर के दरवाज़ा को हर बार खुला रखता हू ...शायद कोई कभी हमारे भी ग़म चुरा ले ll इसलिए अंखियों को नशे मे बंद रखता हू ll ...