बहुत शोर है मेरी खामोशी से तेरी आवाज़ तक.. ज़िन्दगी के सफर से इश्क़ के अंजाम तक.. कोई नहीं रह सका तोहमतों से परे.. मिट्टी के इंसान से पत्थर के भगवान तक.. बहारें भी पतझड़ मे बदल जाती हैं आते ...
बहुत शोर है मेरी खामोशी से तेरी आवाज़ तक.. ज़िन्दगी के सफर से इश्क़ के अंजाम तक.. कोई नहीं रह सका तोहमतों से परे.. मिट्टी के इंसान से पत्थर के भगवान तक.. बहारें भी पतझड़ मे बदल जाती हैं आते ...