माना तू वक्त के हाथों मजबूर बहुत है, दुआओं में फिर भी खुदा का नूर बहुत है !! तक़दीर से तू गुमराह हुआ भी तो क्या ? ज़िन्दगी जीने को जीने का सुरूर बहुत है !! ज़माने ने हर वक्त जिस कदर तुझे दबाया, माना ...
माना तू वक्त के हाथों मजबूर बहुत है, दुआओं में फिर भी खुदा का नूर बहुत है !! तक़दीर से तू गुमराह हुआ भी तो क्या ? ज़िन्दगी जीने को जीने का सुरूर बहुत है !! ज़माने ने हर वक्त जिस कदर तुझे दबाया, माना ...