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हम पंछी उन्मुक्त गगन के ( शिवमंगल सिंह ' सुमन ' )

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हम पंछी उन्मुक्त गगन के पिंजरबद्ध न गा पाएँगे,कनक-तीलियों से टकराकर पुलकित पंख टूट जाएंगे।हम बहता जल पीने वाले मर जाएंगे भूखे-प्यासे,कहीं भली है कटुक निबोरी कनक-कटोरी की मैदा से,स्वर्ण-श्रृंखला के ...