pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

हूर की परी

10641
4.6

कैसी होती है न लड़कियों की ज़िंदगी… कुछ भी करने के बाद चार दीवारी के बाहर उनका कोई अस्तित्व ही नहीं होता... इससे अच्छा तो ऐसे घरों में कोई लड़की पैदा ही न हो... ऐसे न जाने कितने विचार नियति के ख्याल ...