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हिन्दी

हिंदी लवर

4.3
188

मातृभाषा प्रेमी कवि की मजबूरी जो अपने ही घर में हिंदी भाषा की उपेक्षा करने पर विवश है।

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लेखक के बारे में
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Shashank Shekhar
समीक्षा
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  • author
    Durga Rawat
    04 अप्रैल 2019
    हम सबकी यही मज़बूरी है। ना चाहते हुए भी बच्चों को अच्छे अंग्रेजी स्कूल में पढ़ाना हमारा शौक नहीं मज़बूरी है! बहुत सही,महत्वपूर्ण विषय पर लिखा आपने।
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    Durga Rawat
    04 अप्रैल 2019
    हम सबकी यही मज़बूरी है। ना चाहते हुए भी बच्चों को अच्छे अंग्रेजी स्कूल में पढ़ाना हमारा शौक नहीं मज़बूरी है! बहुत सही,महत्वपूर्ण विषय पर लिखा आपने।