pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

हे लोकतंत्र तुझे अर्पण क्या करूं

0

लोकतंत्र मेरे अब तुझे अर्पण क्या करूं लोकतंत्र मेरे अब तुझे अर्पण क्या करूं आशीष मेरे पुरखों के, तुझ पर क्या तर्पण करूं बलवीरों रक्त से अपने पहले ही आचमन कर चुके अगणित धड़ विक्षत शीश नमन तेरा कर ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • रचना पर कोई टिप्पणी नहीं है
  • author
    आपकी रेटिंग

  • रचना पर कोई टिप्पणी नहीं है