हवा में उड़ते -खपरैल के घर मिट्टी की कच्ची दीवार पर ,पकी मिट्टी की छत औ बूढ़ी आँखों में तैरते बेसहारा कल आदमख़ोर आदमी की चोंच में हैं - कि खण्डहर गा रहे हैं - नए दिग्भ्रमित निर्माण के गीत नील नदी में ...
हवा में उड़ते -खपरैल के घर मिट्टी की कच्ची दीवार पर ,पकी मिट्टी की छत औ बूढ़ी आँखों में तैरते बेसहारा कल आदमख़ोर आदमी की चोंच में हैं - कि खण्डहर गा रहे हैं - नए दिग्भ्रमित निर्माण के गीत नील नदी में ...