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हथेलियाँ

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3.8

कई बार देखा है मैंने मेरी दोनों हथेलियाँ ... तुम्हारा आवरण बन जाती हैं जो कभी उन्मुक्त करती हैं तुम्हारे उभारों को प्रेम के एकान्तिक क्षणों में तुम्हारी लज्जा के पलों में वही बन जाती हैं ...