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हास्य-व्यंग्य : गांधी जी के तीन बंदर

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हास्य-व्यंग्य  गांधीजी के तीन बंदर  गांधी जी के तीनों बंदर पैर पटकते हुए गांधी जी के पास आये । तीनों के तीनों बुरी तरह झल्लाये हुए थे । गुस्से के मारे मुंह से झाग निकल रहे थे । गांधी जी उनकी यह ...

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लेखक के बारे में
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श्री हरि

हरि का अंश, शंकर का सेवक हरिशंकर कहलाता हूँ अग्रसेन का वंशज हूँ और "गोयल" गोत्र लगाता हूँ कहने को अधिकारी हूँ पर कवियों सा मन रखता हूँ हिन्दी, हिन्दू, हिन्दुस्तान से बेहद, प्यार मैं दिल से करता हूँ ।। गंगाजल सा निर्मल मन , मैं मुक्त पवन सा बहता हूँ सीधी सच्ची बात मैं कहता , लाग लपेट ना करता हूँ सत्य सनातन परंपरा में आनंद का अनुभव करता हूँ हिन्दी, हिन्दू, हिन्दुस्तान से बेहद, प्यार मैंदिल से करता हूँ

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    अनन्या श्री "Ananya Shree" सुपरफैन
    31 मई 2020
    बहुत खूब सर जी... पर हमे ये व्यंग्य बिल्कुल नहीं लगा.. ये एक कटु सत्य है 🙏🙏💐
  • author
    बेहतरीन उच्चारण गांधी जी के विचारों का...(:
  • author
    Dr.Yatendra Vaish
    31 मई 2020
    बेहतरीन रचना ।अच्छा कटाक्ष किया है ।😀
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    अनन्या श्री "Ananya Shree" सुपरफैन
    31 मई 2020
    बहुत खूब सर जी... पर हमे ये व्यंग्य बिल्कुल नहीं लगा.. ये एक कटु सत्य है 🙏🙏💐
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    बेहतरीन उच्चारण गांधी जी के विचारों का...(:
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    Dr.Yatendra Vaish
    31 मई 2020
    बेहतरीन रचना ।अच्छा कटाक्ष किया है ।😀