हास्य के दोहे कहें हँसिये सब मुंह खोल। अंत समय न हंस पाओगे न पाओगे बोल।। हंसने में क्यों करते हो कंजूसी मेरे भाय। हँसी सभी रोगों से देती मुक्त कराय। एक बार दादाजी कवि सम्मेलन में ले गए मोइ। वीर ...
कथा वाचक, शिक्षक, कवि एवं सामाजिक विचारक, प्रकाशित पुस्तकें - बृजकवितावली ( काव्य संग्रह), (पंचरतन, जन्मदात्री मां, इंद्रधनुष, जिद जीत की, अनुभूति, कामायनी,कहानियां) साझा साहित्य
सारांश
कथा वाचक, शिक्षक, कवि एवं सामाजिक विचारक, प्रकाशित पुस्तकें - बृजकवितावली ( काव्य संग्रह), (पंचरतन, जन्मदात्री मां, इंद्रधनुष, जिद जीत की, अनुभूति, कामायनी,कहानियां) साझा साहित्य
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