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हसी खो सी गई है

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गजल बस हसी खो सी गई है बस ज़िंदगी रुक सी गई है। कब याद नहीं खुल के मुस्करा ते थे हम अब तो हर महफ़िल वीरानी सी हो गई है। क्यू भीड़ में भी अकेले हो गई है अब ये ज़िन्दगी एक बोझ सी हो गई है। याद नहीं कब ...

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लेखक के बारे में
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poet,&, story' wrriter Neha Dixit

ना ज्यादा ना कम जितनी बाते उतना दम प्यार का नाम और प्यारी सी चाहत नेहा के नाम मे ही चाहत

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