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हरिणी छंद

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सम वर्णिक छंद 'हरिणी' १११    ११२ ,   २२२    २,   १२    ११२     १२ दुख सुख सभी, पीड़ा गाथा , सदा हिय में सिएं । जपत तुमको , पूजें जीते, सदा तुममें जिएं । मदन तुम ही , आशा सारी , यही सच साधना । ...

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कवयित्री

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