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Haramkhor

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हरामखोर_______लघु कथा आज सवेरे दमयंती जी अपने बालकोनी में हल्की-हल्की धूप में ईजीचेर डालें आंख मूंदकर अपने विचारों में मग्न थी आंखों से टप टप चार बूंदे आंसु के अनायास गालों में चू रहे थे झाड़ू ...

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Beena Singh

डा बीना सिंह "रागी " स्वतंत्र लेखिका कवयत्री

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