हारा हूं मैं, गिला रहता है खुद से अक्सर दुनिया से फिर भी मिला करता हूं हंसकर, बेफिक्र था बचपना कोई ख़्वाब ही नही थे अब हैरान होता हूँ खुद को देख कर रोता हूं अकेले में अब बैठ कर कहीं देखता ...
हारा हूं मैं, गिला रहता है खुद से अक्सर दुनिया से फिर भी मिला करता हूं हंसकर, बेफिक्र था बचपना कोई ख़्वाब ही नही थे अब हैरान होता हूँ खुद को देख कर रोता हूं अकेले में अब बैठ कर कहीं देखता ...