जीवन एक खेल की तरह होता है और ये दुनिया खेल के मैदान की तरह है। ईश्वर आपको खेल के इस मैदान में एक निश्चित वक्त के लिए भेजते हैं। अब ये आप पर निर्भर करता है कि आप इस दुनिया-रूपी ये मैदान में ...
पढ़ों तुम,खूब पढ़ो क्योंकि किताबों में हुनर है बहते पानी में आग लगाने का। हाँ पढ़ो तुम दुनियाभर के तमाम साहित्य को, करो श्रृंगार भी साहित्य का क्योंकि इस साहित्यिक श्रृंगार में हुनर है बहुरूपियों को ऊँगलियों पर नचाने का। ✍✍अनुजाराकेश शर्मा ✍✍
सारांश
पढ़ों तुम,खूब पढ़ो क्योंकि किताबों में हुनर है बहते पानी में आग लगाने का। हाँ पढ़ो तुम दुनियाभर के तमाम साहित्य को, करो श्रृंगार भी साहित्य का क्योंकि इस साहित्यिक श्रृंगार में हुनर है बहुरूपियों को ऊँगलियों पर नचाने का। ✍✍अनुजाराकेश शर्मा ✍✍
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बधाई हो! हँस चुगेगा दाना,कौवा मोती खाएगा प्रकाशित हो चुकी है।. अपने दोस्तों को इस खुशी में शामिल करे और उनकी राय जाने।