हंगामा है क्यूँ बरपा, थोड़ी सी जो पी ली है डाका तो नहीं डाला, चोरी तो नहीं की है| ना-तजुर्बाकारी से, वाइज़ की ये बातें हैं इस रंग को क्या जाने, पूछो तो कभी पी है| उस मय से नहीं मतलब, दिल जिस से है ...
मूल नाम : अकबर हुस्सैन रिज़वी उपनाम : अकबर अलाहाबादी जन्म : 16 नवंबर 1846 देहावसान: 15 फरवरी 1921 भाषा : उर्दू विधाएँ : ग़ज़ल, शायरी अकबर अलाहाबादी उर्दू व्यंग्य के अग्रणी रचनाकारों में से एक हैं, इनके काफी शेरों एवम ग़ज़लों में सामाजिक दर्द को सरल भाषा में हास्यपूर्क ढंग से उकेरा गया है। "हंगामा है क्यूं बरपा" इनकी मशहूर ग़ज़लों में से एक है
<p><span style="font-size:14px"><span style="color:#000000"><strong>मूल नाम</strong> : अकबर हुस्सैन रिज़वी</span></span></p> <p><span style="font-size:14px"><span style="color:#000000"><strong>उपनाम : </strong>अकबर अलाहाबादी</span></span></p> <p><span style="font-size:14px"><span style="color:#000000"><strong>जन्म</strong> : 16 नवंबर 1846</span></span></p> <p><span style="font-size:14px"><span style="color:#000000"><strong>देहावसान:</strong> 15 फरवरी 1921</span></span></p> <p><span style="font-size:14px"><span style="color:#000000"><strong>भाषा</strong> : उर्दू</span></span></p> <p><span style="font-size:14px"><span style="color:#000000"><strong>विधाएँ</strong> : ग़ज़ल, शायरी </span></span></p> <p> </p> <p><span style="font-size:14px"><span style="color:#000000">अकबर अलाहाबादी उर्दू व्यंग्य के अग्रणी रचनाकारों में से एक हैं, इनके काफी शेरों एवम ग़ज़लों में सामाजिक दर्द को सरल भाषा में हास्यपूर्क ढंग से उकेरा गया है।</span></span></p> <p><span style="font-size:14px"><span style="color:#000000">"हंगामा है क्यूं बरपा" इनकी मशहूर ग़ज़लों में से एक है</span></span></p>
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