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हाँ , मैं तुम्हें चाहता हूँ!

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4.9

मेरा चाहना शायद दुनिया की नजरों में अजीब भी लगे। पर हाँ, मैं तुम्हें चाहता हूँ अंतरतम के गहरे कोने तक! शायद मैं सिर्फ तुम्हारे नारी रूप को  ही नही चाहता, शायद, वासना की हवा भी मुझे छू कर नही गई ...