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"हमारी प्रकृति" कविता एक विशेष रचना है जिसमें प्रकृति की निर्मलता उसमें रह रहे सभी निर्जीव व सजीव की सुंदरता को प्रस्तुत किया गया है ।

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हमारी प्रकृति (भाग-1)                         वन उपवन,       सब कीट मकोड़े । नवनीत पत्ते, कलियाँ सारी,   सप्त रंग की चादर ओढ,     नाच रही थीं फुलवारी ।    सरीसृप और चौपाये भी, निडर ...

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लेखक के बारे में
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Priya shyam

I m a simple nd honest poet.

समीक्षा
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    14 मई 2020
    भाव शिल्प और शब्द शिल्प दोनों ही बेजोड़ हैं।
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    14 मई 2020
    भाव शिल्प और शब्द शिल्प दोनों ही बेजोड़ हैं।