हमारी धरती (मुक्तक) 1- हमारी धरती बन्धु सदियों से सजी है वृक्ष, शैल, नदियों से, गोद इसकी हरी-भरी ‘राजन’ सपूत, सिंह, संत, कवियों से। 2- हमें षिकवा न कुछ गिला इससे हमें क्या कुछ नही मिला ...
हमारी धरती (मुक्तक) 1- हमारी धरती बन्धु सदियों से सजी है वृक्ष, शैल, नदियों से, गोद इसकी हरी-भरी ‘राजन’ सपूत, सिंह, संत, कवियों से। 2- हमें षिकवा न कुछ गिला इससे हमें क्या कुछ नही मिला ...