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हमारा रिस्ता

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जब वे न पास हों, तुम आते हो! जब वे पास हों, चले जाते हो!! शर्म इतनी कि शर्म भी शर्माए, अपने साये से भी शर्माते हो!!! पास नहीं- छटक दूर जाते हो तुम, इशारों-इशारों से  मुझे भगाते हो! रक़ीब नहीं, पर ...