जब तुम नहीं हो तुम्हारी कोई निशानी नहीं रखीं तो आज ये हवाएं तेज़ क्यों चल रही है,या तो मुझ से कोई दुश्मनी है या फिर ये भी तुझ से मिली हुई हैं।
जब तुम नहीं हो तुम्हारी कोई निशानी नहीं रखीं तो आज ये हवाएं तेज़ क्यों चल रही है,या तो मुझ से कोई दुश्मनी है या फिर ये भी तुझ से मिली हुई हैं।