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गुरुदेव कौ अंग

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4.6

सतगुर सवाँन को सगा, सोधी सईं न दाति। हरिजी सवाँन को हितू, हरिजन सईं न जाति॥1॥ बलिहारी गुर आपणैं द्यौं हाड़ी कै बार। जिनि मानिष तैं देवता, करत न लागी बार॥2॥ सतगुर की महिमा, अनँत, अनँत किया उपगार। लोचन ...