pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

गुरु वंदना

20

भजन गुरु चरणन में डूबे रहना, अपनी मढ़ी में मगन रहना।।धृ।। सगरा जगत है, मोह का लोभी, तू सीप का मोती बनके रहना।।१।। ये संसारा, बहती धारा, तू ज्ञान की गठरी थामे रखना।।२।। युग आये युग जायें कितने, ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
author
Swati joshi
समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • रचना पर कोई टिप्पणी नहीं है
  • author
    आपकी रेटिंग

  • रचना पर कोई टिप्पणी नहीं है