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गुनाह ए ईश्क

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तुमसे बात ना करने की सजा हमने खुद अपनाया है। हमारा हाल ही जनता है, हमने किसकी सजा पायी है।। सजा तुमको देकर हमने कहाँ सुकून पाया है। ये सजा तो हमको तुमसे दिल लगाने की पायी है।। ...