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गुलमोहर

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आज फ़िर गुलमोहर ने अर्जी दी है.... ढलती हुई शाम,फिज़ाओं में ठंढक घोलती हवा बरबस यादों की किवाड़ पर दस्तक दे रही है।झील का ये शान्त किनारा और मेरे प्रिय गुलमोहर के ओट से झांकता आधा चांद,सब कुछ जैसे ...

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Kavita Choubey

क्या लिखूँ खुद के लिए, मुझे जानना तुम मेरी कविताओं से

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