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गुलाब की ओ पंखुडिया

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सुनो, तुम्हारी आलमारी के तीसरे खाने में, जहां ग़ालिब का दीवान रखा था...... उसी दीवान के किसी सफ़्हे पर, गुलाब की वो पंखुड़ियां जो अब सूख गई होंगी, अब भी तुमसे मेरे सवालों का ज़वाब मांगती हैं। वही ...

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Fan of Ravi Awara
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