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गिरधर के कुण्डलिया -2

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गिरधर वहाँ क्यों जाओ, यहाँ दिखे ना प्रीति। प्रीति यहाँ पर होत है, वहाँ अलग ही रीति।। वहाँ अलग ही रीति, जात हों घुटुअन पर चल। प्रेम रंग में भींग, जाओ वहीं शीतल जल।। कह गिरधर कविराय, प्रीति की रीति ...

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लेखक के बारे में

नाम: गिरधारी लाल चतुर्वेदी जन्म स्थान : मथुरा व्यवसाय :नोकरी विभाग : एकाउन्ट फाईनेन्स असिस्टेंट मेनेजर भुगतान विभाग संसथान: मनीपाल होस्पीटल आदतॆ: कृकेट खेलना , बचपन से कविता, व व्यंग लेखन, सामाजिक व राजनेतिक चिंतन ।

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