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गिला

4.6
6891

जीवन का बड़ा भाग इसी घर में गुजर गया, पर कभी आराम न नसीब हुआ। मेरे पति संसार की दृष्टि में बड़े सज्जन, बड़े शिष्ट, बड़े उदार, बड़े सौम्य होंगे; लेकिन जिस पर गुजरती है वही जानता है। संसार को उन लोगों ...

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लेखक के बारे में

मूल नाम : धनपत राय श्रीवास्तव उपनाम : मुंशी प्रेमचंद, नवाब राय, उपन्यास सम्राट जन्म : 31 जुलाई 1880, लमही, वाराणसी (उत्तर प्रदेश) देहावसान : 8 अक्टूबर 1936 भाषा : हिंदी, उर्दू विधाएँ : कहानी, उपन्यास, नाटक, वैचारिक लेख, बाल साहित्य   मुंशी प्रेमचंद हिन्दी के महानतम साहित्यकारों में से एक हैं, आधुनिक हिन्दी कहानी के पितामह माने जाने वाले प्रेमचंद ने स्वयं तो अनेकानेक कालजयी कहानियों एवं उपन्यासों की रचना की ही, साथ ही उन्होने हिन्दी साहित्यकारों की एक पूरी पीढ़ी को भी प्रभावित किया और आदर्शोन्मुख यथार्थवादी कहानियों की परंपरा कायम की|  अपने जीवनकाल में प्रेमचंद ने 250 से अधिक कहानियों, 15 से अधिक उपन्यासों एवं अनेक लेख, नाटक एवं अनुवादों की रचना की, उनकी अनेक रचनाओं का भारत की एवं अन्य राष्ट्रों की विभिन्न भाषाओं में अन्यवाद भी हुआ है। इनकी रचनाओं को आधार में रखते हुए अनेक फिल्मों धारावाहिकों को निर्माण भी हो चुका है।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Geeta Jain
    06 जून 2019
    शानदार
  • author
    Pooran Singh
    28 अगस्त 2020
    मानवीय आचरण की सूक्ष्मतम व्याख्या । कहानी की उद्घोषक पत्नी अपने पति की सैकड़ों कमियों को गिनाते हुए भी अंत में किसी गुणवान व्यक्ति से अपने पति को बदलने को तैयार नहीं होती. इसलिए नहीं कि यह कोई शास्त्रीय या सामाजिक विधान है वरन वह यह मानती है कि दोनों का आचरण ऐसा हो गया है जैसे किसी मशीन के कलपुर्जे हो और एक दूसरे के बिना काम न चला पाने जैसी स्थिति बन गई है। इतना ही नहीं वह अपने पति के अवगुणों को गुणों से भी बदलने को तैयार नहीं है। इतना भाव पूर्ण और यथार्थ पूर्ण चित्रण है यह।
  • author
    Rajesh Kumar
    28 अगस्त 2020
    स्वयं पर बीती महसूस हो रही है
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    Geeta Jain
    06 जून 2019
    शानदार
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    Pooran Singh
    28 अगस्त 2020
    मानवीय आचरण की सूक्ष्मतम व्याख्या । कहानी की उद्घोषक पत्नी अपने पति की सैकड़ों कमियों को गिनाते हुए भी अंत में किसी गुणवान व्यक्ति से अपने पति को बदलने को तैयार नहीं होती. इसलिए नहीं कि यह कोई शास्त्रीय या सामाजिक विधान है वरन वह यह मानती है कि दोनों का आचरण ऐसा हो गया है जैसे किसी मशीन के कलपुर्जे हो और एक दूसरे के बिना काम न चला पाने जैसी स्थिति बन गई है। इतना ही नहीं वह अपने पति के अवगुणों को गुणों से भी बदलने को तैयार नहीं है। इतना भाव पूर्ण और यथार्थ पूर्ण चित्रण है यह।
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    Rajesh Kumar
    28 अगस्त 2020
    स्वयं पर बीती महसूस हो रही है