1222 1222 122 सहर होते चले जानिब पता क्या परिन्दों के मुक़द्दर में लिखा क्या/१ सदा बेख़ौफ़ सी हैं जो हवाएं मिला इस जिंदगी को रास्ता क्या/२ लगा रहता है डर तुमको सदा क्या भला हो ज़िंदगी में फिर मजा ...
मैं सतपुड़ा की तलहटी में ,इंद्रावती नदी के तट पर बसा वनांचल गांव बिस्टान से तालुक रखता हूँ ।जीवन में हर एक की ख्वाईश होती है।मेरी भी है।ऊंचाइयां भले ही न मिले।पर दिलों में सदियों तक जिन्दा रहूं।
सारांश
मैं सतपुड़ा की तलहटी में ,इंद्रावती नदी के तट पर बसा वनांचल गांव बिस्टान से तालुक रखता हूँ ।जीवन में हर एक की ख्वाईश होती है।मेरी भी है।ऊंचाइयां भले ही न मिले।पर दिलों में सदियों तक जिन्दा रहूं।
रिपोर्ट की समस्या