1222 1222 122 सहर होते चले जानिब पता क्या परिन्दों के मुक़द्दर में लिखा क्या/१ सदा बेख़ौफ़ सी हैं जो हवाएं मिला इस जिंदगी को रास्ता क्या/२ लगा रहता है डर तुमको सदा क्या भला हो ज़िंदगी में फिर मजा ...
1222 1222 122 सहर होते चले जानिब पता क्या परिन्दों के मुक़द्दर में लिखा क्या/१ सदा बेख़ौफ़ सी हैं जो हवाएं मिला इस जिंदगी को रास्ता क्या/२ लगा रहता है डर तुमको सदा क्या भला हो ज़िंदगी में फिर मजा ...